Thursday, March 31, 2011

हित रहेन अब ...

मनमा कसैको हित रहेन अब ...
देशकै हारमा जित रहेन अब ...

बलेरै राजनिती दनदनी मुटुमा ...
छाती सेलाउने शीत रहेन अब ...

विकाश रहेन शान्ति शत्रु बन्दा ...
सन्तुष्टि कसैको मित रहेन अब ...

तानातान लुछाचुँड सधैँ त्यही खबर  ...
मेल मिलाप पनि रित रहेन अब ... 

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